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आला हजरत का फतवा:- जो शख्स किसी को क़त्ल करे वो शरियत की रौशनी में मुजरिम,कानून को हाथ में लेने वाला गूनेहगार

- July 7, 2022

आला हजरत का फतवा:- जो शख्स किसी को क़त्ल करे वो शरियत की रौशनी में मुजरिम,कानून को हाथ में लेने वाला गूनेहगार

रिपोर्ट: सोनू अंसारी

बरेली:- राजिस्थान के शहर उदयपुर में कनहिया लाल की हत्या पर बरेलवी उलमा ने कड़ा रुक्त इख्तियार किया है , आज तंज़ीम उलमा ए इस्लाम ने बैठक की और इस घटना के तमाम पैहलूओ को शरियत की रौशनी में जांचने व परखने की कोशिश की , चूंकि ये घटना इस्लाम मज़हब के नाम पर की गई है इसलिए इस्लाम के रहनूमाओ को आगे आकर शरियत की बताई हुई शिक्षा को सही अंदाज में जनता के सामने पेश करने की जरूरत थी। उलमा ने र्सव सम्मती से फतवा जारी करके इस घटना को अंजाम देने वाले दोनों मुस्लिम कातिलों को शरियत की अदालत में मूजरिम करार देते हुए इन दोनों के खिलाफ फतवा जारी किया है।

फतवे की तफ़सीलात को आज तंज़ीम के राष्ट्र महासचिव मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने प्रेस को जारी की , मौलाना ने बताया कि आला हजरत ने अपनी किताब “हूस्सामुल हरमैन” में इस तरह की घटनाओं के बारे मे फतवा दिया है “कि इस्लामी हुकूमत या गैर इस्लामी हुकूमत में अगर कोई व्यक्ति या बादशाह की इजाजत के बगैर किसी गुस्ताखे नबी को क़त्ल करता है तो उसका गाज़ी होना दर किनार बल्कि ऐसा व्यक्ति शरियत की नजर में मूजरिम होगा और बादशहे इस्लाम उसे सख़्त सजा देगा”। फिर आला हजरत आगे फतवे में लिखते है कि “जब इस्लामी हुकूमत में ये आदेश है तो जहां इस्लामी हुकूमत नहीं है वहां तो पहले दर्जे में ही नाजाइज होगा, और गुस्ताखे नबी को क़त्ल करने की वजह से अपनी जान को हलाकत और मूसीबत में डालना होगा।”

 

कूरान शरीफ में खुदा ने फ़रमाया है कि”अपने हाथों अपने आपको हलाकत में मत डालो

आला हजरत ने आम मुसलमानों को आदेश देते हुए फतवे में कहा कि “शरियत की रौशनी मे सिर्फ ऐसे गुस्ताख़ का जुबान से निंदा करना और आम लोगों को उससे मेल जोल रखने से रोकना और हुकूमत के जिम्मेदारान तक शिकायत पहुंचाना काफी है ताकि उस व्यक्ति पर मुकदमा कायम हो सके , अपने आप से खूद कानून को हाथ मे लेकर किसी आम व्यक्ति को सज़ा देना जाइज नहीं है।”

मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने बताया की किसी गुस्ताखे नबी को हुकूमत की इजाजत के बगैर किसी आम आदमी को सजा देना, य क़त्ल करना, य सर तन से जुदा करना आला हजरत के फतवे की रौशनी मे ऐसा शख्स सजा के लाईक और मुजरिम है।

मौलाना ने ख़ास तौर पर हिन्दूसतान के मुसलमानों से कहा कि गत चंद्र वर्षों से पाकिस्तानी के लोगो ने ये नारा लगाना शुरू किया “गुस्ताखे नबी की है ये सजा सर तन से जुदा सर तन से जुदा” ये नारा सोशल मीडिया के माध्यम से हिन्दूस्तान मे परमोड हुआ, पाकिस्तान मे नौ घाठित तहरीके लब्बैक संगठन ने अपने राजनीतिक आशाओं को पूरा करने के लिए ये नारा लगाना शुरू किया जिसका उन्हें पाकिस्तान मे लाभ भी मिला।हिन्दूस्तान एक जम्हूरि देश है यहां पर इस तरह के नारे लगाना जाइज नहीं है। कानून को मुसलमान अपने हाथ मे न ले, हुकूमत से शिक़ायत करें , सजा देने क काम हुकूमत का है।

बैठक में खास तौर पर मौलाना मुजाहिद हुसैन, मौलाना नूर अहमद अजहरी, मुफ्ती मजहर इमाम, मौलाना शाकीर अली, मुफ्ती तौकीर अहमद , मौलाना ताहिर फरिदी, मुफ्ती अतीफ मिस्बाही, सूफ़ी हनीफ जहांगीरी, कारी सगीर अहमद रजवी, मौलाना खुर्शीद अहमद, मौलाना अफसार अहमद, मौलाना गुलाम मोहीयूद्दीन, मौलाना अनीसूर रहमान , हाफीज़ आमिर बरकाती, मौलाना इन्कलाब चिष्ती आदि मौजूद रहे।