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पंडित अभय सोपोरी ‘श्री राम राग सेवा’ संगीत कार्यक्रम में देंगे प्रस्तुति

- March 4, 2024
पंडित अभय सोपोरी 'श्री राम राग सेवा' संगीत कार्यक्रम में देंगे प्रस्तुति

पंडित अभय सोपोरी ‘श्री राम राग सेवा’ संगीत कार्यक्रम में देंगे प्रस्तुति

रिपोर्ट: जगजीत सिंह

जाने-माने संतूर वादक और अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त संगीतकार पंडित अभय सोपोरी अयोध्या में राम मंदिर में भगवान राम को समर्पित 45 दिवसीय संगीत समारोह “श्री राम राग सेवा” में मंगलवार, 5th मार्च को दिन में 3:00 बजे संतूर वादन की प्रस्तुति देने जा रहे हैं। शास्त्रीय परंपरा के अनुरूप, श्री राम जन्मभूमि मंदिर में ‘गुड़ी मंडप’ में भगवान के समक्ष ‘राग सेवा’ का आयोजन किया गया है। पं. अभय सोपोरी ‘गर्भ गृह’ के सामने भगवान राम के चरणों में अपनी ‘राग सेवा’ अर्पित करेंगे, जहां प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा भगवान राम की नई मूर्ति ‘राम लल्ला’ का अभिषेक किया गया था। .

पं. अभय सोपोरी भारत के एक बहुमुखी और प्रतिष्ठित संगीतकार हैं। कश्मीर के 300 साल पुराने सोपोरी – सूफियाना घराने से आने वाले, वह शैव-सूफी संगीत परंपरा की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। वह महान संत – संगीतकार और प्रसिद्ध संतूर वादक – संगीतकार पंडित भजन सोपोरी जी के पुत्र और शिष्य हैं और संगीत के महान गुरु पं. शंभू नाथ सोपोरी जी के पोते हैं, जिनको जम्मू-कश्मीर में भारतीय शास्त्रीय संगीत का जनक माना जाता है।

पं. अभय सोपोरी को कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिनमें संयुक्त राष्ट्र मान्यता प्राप्त महात्मा गांधी शांति पुरस्कार, भारत का टॉप ग्रेड कलाकार की मान्यता – भारत सरकार, भारत के संसद में प्रस्तुत अटल शिखर सम्मान, भारत के चुनाव आयोग द्वारा जम्मू – कश्मीर का स्टेट आइकॉन टाइटल, जम्मू-कश्मीर सरकार पुरस्कार, बेस्ट सिटीजन्स ऑफ़ इंडिया अवार्ड, भारत सरकार की संगीत नाटक अकादमी का पहला युवा पुरस्कार, आदि भी शामिल है। एक प्रर्वतक और रचनाकार, अभय लगातार संतूर की संभावनाओं की खोज करते हैं और इसे आगे बढ़ाते हैं। उनका योगदान प्रदर्शन और रचनाओं से आगे भी है। उनके निरंतर प्रयासों से जम्मू और कश्मीर में सांस्कृतिक नीति शुरू करने और शैक्षणिक संस्थानों में संगीत को एक औपचारिक विषय के रूप में एकीकृत करने में, सांस्कृतिक पुनर्जागरण को बढ़ावा देने और हजारों उभरते संगीतकारों को मंच प्रदान करने में इनकी बहुत बड़ी भूमिका है। इन्हे नई पीढ़ी को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है। संगीत, सांस्कृतिक संरक्षण और परोपकार के प्रति उनका अथक समर्पण न केवल एक प्रमुख संगीतकार के रूप में बल्कि भारतीय शास्त्रीय संगीत के भविष्य को आकार देने वाले एक सांस्कृतिक राजदूत के रूप में उनकी जगह को मजबूत करता है।