Statue of Unity: जानें दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति के बारे में , क्या है ख़ास
Knowledge Desk | Ann News
सरदार वल्लभभाई पटेल ( Sardar Vallabhbhai Patel ) सिर्फ एक नाम नहीं बल्कि यह देश भक्ति का प्रतिक बन चूका है. आज हम उन्ही सरदार वल्लभभाई पटेल के प्रतिमा के बारे में बात करेगें, जो की गुजरात के केवडिया इलाके में स्थित है। जिसे स्टैचू ऑफ यूनिटी (Statue of Unity) कहा जाता है। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी विश्व की सबसे ऊंची गगनचुंबी प्रतिमा है । 31 अक्टूबर को सरदार पटेल की जयंती मनाई जाती है । ये स्टेचू ऑफ़ यूनिटी सरदार वल्लभ भाई पटेल की है ,जो हमेशा जमीन से जुड़े रहे और अब वे आसमान की भी शोभा बढ़ा रहे हैं। । दरअसल इसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी राष्ट्र को समर्पित किया था ।
स्टैचू ऑफ यूनिटी (Statue of Unity) में क्या हैं खास ?
सरदार वल्लभभाई पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ (Statue of Unity) का उद्घाटन पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा 31 अक्टूबर 2018 को किया गया हैं। जबकि इस ‘स्टैचू ऑफ यूनिटी’ की आधारशिला 31 अक्टूबर, 2013 को पटेल की 138वीं वर्षगांठ के टाइम रखी गई थी। यह मूर्ति दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति है। यह स्टेचू ऑफ़ यूनिटी सरदार वल्लभभाई पटेल की याद में बनाई गई है। ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ की डिजाइन में इस बात का भी खास ध्यान रखा गया कि सरदार पटेल के हावभाव उसमें हू-ब-हू नजर आएं। इसके लिए सरदार पटेल की 2000 से ज्यादा फोटो पर रिसर्च की गई थी। इस सरदार वल्लभभाई पटेल प्रतिमा की बहुत सारी खासियत है, जो बहुत रोचक है और आपको इसके बारे में पता होनी चाहिए।
आइए जानते हैं इस मूर्ति की खास बातें
- इस मूर्ति में दो लिफ्ट भी लगी है, जिनके माध्यम से आप सरदार पटेल की छाती पहुंचेंगे और वहां से आप सरदार सरोवर बांध का नजारा देख सकेंगे और खूबसूरत वादियों का मजा ले सकेंगे। सरदार की मूर्ति तक पहुंचने के लिए पर्यटकों के लिए पुल और बोट की व्यवस्था की जाएगी।
- मूर्ति की लंबाई 182 मीटर है और यह इतनी बड़ी है कि इसे 7 किलोमीटर की दूरी से भी देखा जा सकता है। बता दें कि ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ ऊंचाई में अमेरिका के ”स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी’ (93 मीटर) से दोगुना है।
- यह स्टैच्यू 180 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चलने वाली हवा में भी स्थिर खड़ा रहेगा। यह 6.5 तीव्रता के भूकंप को भी सह सकता है। इस मूर्ति के निर्माण में भारतीय मजदूरों के साथ 200 चीन के कर्मचारियों ने भी हाथ बंटाया है। इन लोगों ने सितंबर 2017 से ही दो से तीन महीनों तक अलग-अलग बैचों में काम किया
- इस लौह पुरुष की मूर्ति के निर्माण में लाखों टन लोहा और तांबा लगा है और कुछ लोहा लोगों से मांगकर लगाया है। इस मूर्ति को बनाने के लिए लोहा पूरे भारत के गांव में रहने वाले किसानों से खेती के काम में आने वाले पुराने और बेकार हो चुके औजारों का संग्रह करके जुटाया गया।
- सरदार वल्लभ भाई पटेल की इस मूर्ति में 4 धातुओं का उपयोग किया गया है। जिसमें बरसों तक जंग नहीं लगेगी। स्टैच्यू में 85 फीसदी तांबा का इस्तेमाल किया गया है।